नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) – विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अंतरराष्ट्रीय रोग वर्गीकरण (आईसीडी-11) के 2025 अद्यतन में पारंपरिक चिकित्सा स्थितियों के लिए एक नया मॉड्यूल जोड़ा है। यह कदम पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों की वैश्विक पहचान और उनके स्वास्थ्य क्षेत्र में समावेश को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार ने बुधवार को इस संबंध में जानकारी दी।
आयुष मंत्रालय ने बताया कि यह अद्यतन आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा प्रणालियों के लिए पिछले वर्ष जनवरी में शुरू किए गए आईसीडी-11 टीएम-2 के सफल परीक्षण और विचार-विमर्श के बाद जारी किया गया है।
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “डब्ल्यूएचओ के अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य ढांचे में पारंपरिक चिकित्सा के इस समावेश से यह सुनिश्चित होता है कि आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी जैसी पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों को आधिकारिक रूप से मान्यता मिल रही है। साथ ही, इन प्रणालियों को आईसीडी-11 में वर्गीकृत किया गया है, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य रिपोर्टिंग, अनुसंधान और नीति निर्माण में उनकी स्थिति और मजबूत होगी।”
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने इस अद्यतन को पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल साक्ष्य-आधारित एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल नीतियों को मजबूत करने और समग्र स्वास्थ्य कल्याण को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
डब्ल्यूएचओ के वर्गीकरण एवं शब्दावली इकाई के प्रमुख डॉ. रॉबर्ट जैकब ने कहा, “नया आईसीडी-11 अद्यतन उपयोग में अधिक सहजता, बेहतर अंतर-संचालन और सटीकता प्रदान करता है, जिससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों और जनता को सीधा लाभ मिलेगा।”
आयुष मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आईसीडी-11 में ‘पारंपरिक चिकित्सा स्थितियां’ मॉड्यूल की शुरूआत आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था में आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा प्रणालियों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।