नई दिल्ली : ललिता जयंती एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पर्व है, जो माँ ललिता देवी को समर्पित है। हिन्दू धर्म में माँ ललिता त्रिपुर सुंदरी को परम शक्ति, सौंदर्य और करुणा की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। इनका उल्लेख देवी महात्म्य, ललिता सहस्रनाम और तंत्र ग्रंथों में मिलता है। यह जयंती विशेष रूप से शक्ति उपासकों और श्रीविद्या साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
माँ ललिता त्रिपुरसुंदरी का स्वरूप
माँ ललिता को सौंदर्य और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वे सृष्टि की मूल अधिष्ठात्री हैं, जो ब्रह्मांड की संरचना, पालन और संहार में सहायक हैं। उनका स्वरूप एक दिव्य स्त्री का है, जो पंचभूतों से निर्मित इस संसार की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे पंचदशाक्षरी मंत्र की अधिष्ठात्री और श्रीविद्या साधना की केंद्रबिंदु मानी जाती हैं।
ललिता जयंती का महत्व
ललिता जयंती को देवी उपासकों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन साधक माँ ललिता की पूजा-अर्चना करते हैं और विशेष रूप से ललिता सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करते हैं। यह दिन न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए उपयुक्त है, बल्कि साधकों को मानसिक शांति, आंतरिक शक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है।
पूजा विधि और अनुष्ठान
ललिता जयंती के दिन भक्तगण विशेष रूप से निम्नलिखित अनुष्ठानों का पालन करते हैं—
- स्नान और संकल्प – इस दिन प्रातःकाल स्नान कर माँ ललिता की आराधना करने का संकल्प लिया जाता है।
- माँ ललिता की प्रतिमा या चित्र का पूजन – माँ की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर फूल, चंदन, रोली, कुमकुम, और अक्षत अर्पित किए जाते हैं।
- ललिता सहस्रनाम और त्रिपुरा रहस्य पाठ – इस दिन ललिता सहस्रनाम स्तोत्र, ललिता त्रिशती और श्रीविद्या से संबंधित मंत्रों का पाठ किया जाता है।
- हवन और विशेष उपासना – कुछ स्थानों पर ललिता होम (हवन) का आयोजन भी किया जाता है।
- दान और ब्राह्मण भोजन – इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना तथा जरूरतमंदों को दान करना शुभ माना जाता है।
ललिता जयंती का आध्यात्मिक प्रभाव
ऐसा माना जाता है कि इस दिन माँ ललिता की पूजा करने से जीवन में सौंदर्य, वैभव, प्रेम और आध्यात्मिक शक्ति की वृद्धि होती है। यह जयंती साधकों को भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
ललिता जयंती की तिथि और शुभ समय
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 11 फरवरी 2024 को शाम 6:55 बजे हो रहा है। यह तिथि 12 फरवरी 2024 को शाम 7:22 बजे समाप्त होगी। इस अनुसार, ललिता जयंती, जिसे षोडशी जयंती के नाम से भी जाना जाता है, इस वर्ष बुधवार, 12 फरवरी को मनाई जाएगी।
ललिता जयंती केवल एक पर्व ही नहीं, बल्कि शक्ति और भक्ति के अद्भुत समागम का प्रतीक है। यह हमें यह सिखाती है कि जीवन में सौंदर्य, शक्ति और करुणा का संतुलन ही सच्ची उन्नति का मार्ग है। माँ ललिता की उपासना से भक्तगण आध्यात्मिक शक्ति अर्जित कर जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण बना सकते हैं।
Note : इस लेख में प्रस्तुत जानकारी विभिन्न स्रोतों—ज्योतिष, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों एवं दंतकथाओं—से संकलित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे अंतिम सत्य या दावा न मानें और अपनी बुद्धि व विवेक का प्रयोग करें।