नई दिल्ली : सोमवार को राज्यसभा में कें विपक्षी दलों ने द्र सरकार पर आरोप लगाया कि हिंसा प्रभावित मणिपुर के बजट में लगभग सभी मदों में कटौती की गई है, जबकि पुनर्निर्माण कार्यों के लिए बजट बढ़ाया जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र को यह स्पष्ट करना चाहिए कि “डबल इंजन” सरकारें देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कितना योगदान देती हैं। बता दे कि भाजपा केंद्र में सत्तारूढ़ होने के साथ ही उन राज्यों की सरकारों को “डबल इंजन” सरकार कहती है जहां भाजपा की सरकारें हैं।
तमिलनाडु और मणिपुर पर सरकार की नीतियों पर सवाल
द्रमुक के सांसद आर. गिरिराजन ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु को मनरेगा योजना में भारी कटौती का सामना करना पड़ रहा है, जबकि यह योजना राज्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने केंद्र से पूछा कि “डबल इंजन” सरकारें देश की अर्थव्यवस्था में कितना योगदान देती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के शैक्षिक अनुदान को रोककर वहां के युवाओं को बाधित कर रही है। मणिपुर के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सरकार वहां के लोगों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है और उनके घाव कभी नहीं भरेंगे।
संजय सिंह का केंद्र पर हमला
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि मणिपुर का बजट ऐसे समय पेश किया गया जब देश की अर्थव्यवस्था संकट में है। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में देश पर 186 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है और बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है। उन्होंने कटाक्ष किया कि सरकार को “म” अक्षर से प्रेम है, लेकिन उसे मणिपुर की कोई चिंता नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में विधायकों और आम लोगों के घर जला दिए गए, लेकिन प्रधानमंत्री को वहां जाने का समय नहीं मिला।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन और केंद्र की भूमिका
संजय सिंह ने आरोप लगाया कि मणिपुर सरकार को बचाने के लिए केंद्र ने राष्ट्रपति शासन लागू किया। उन्होंने एक समाचार वेबसाइट के कथित ऑडियो का जिक्र करते हुए उसकी जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि मणिपुर का बजट 2024-25 में 34,899 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 35,103 करोड़ रुपये किया गया, जो वास्तविक जरूरतों की तुलना में बेहद कम है।
अन्य विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएं
वाईएसआर कांग्रेस के सांसद बाबू राव गोला ने कहा कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय किए गए वादे आज तक पूरे नहीं हुए। बीजू जनता दल की सांसद सुलता देव ने आरोप लगाया कि सरकार मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा से बचती रही और सवाल किया कि “क्या मणिपुर भारत का हिस्सा है या नहीं?” उन्होंने प्रधानमंत्री के लगातार विदेश दौरों की आलोचना करते हुए कहा कि वे मणिपुर नहीं गए, जबकि ओडिशा उनके रास्ते में ही पड़ता है।
राजद के सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि मणिपुर को आखिरकार महसूस हुआ होगा कि वह भारत का हिस्सा है। उन्होंने सवाल उठाया कि उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद हिंसा भड़कने की जांच क्यों नहीं हुई? उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित राज्य होने के बावजूद मणिपुर को केवल 50 करोड़ रुपये दिए गए, जो बेहद कम है।
विपक्ष की मांग और सरकार की प्रतिक्रिया
झा ने सुझाव दिया कि मणिपुर के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा जाए ताकि वहां के लोगों की समस्याओं को सुना जा सके। इस बीच, केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने विपक्षी सदस्यों से अपने दावों को साबित करने की मांग की और कहा कि यदि वे ऐसा नहीं कर सकते, तो उन्हें सदन से माफी मांगनी चाहिए। विपक्षी दलों ने सरकार से आग्रह किया कि मणिपुर को पर्याप्त बजटीय सहायता दी जाए और केंद्र अपनी जिम्मेदारी निभाए ताकि राज्य में हालात सामान्य हो सकें।