कृष्ण कान्त
भारतीय राजनीति और समाज में कुछ ऐसे व्यक्तित्व उभरे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी विचारशीलता बल्कि अपने कर्तव्यों और योगदान से भी समाज को प्रभावित किया है। इनमें से एक महत्वपूर्ण नाम है कृष्ण कान्त। वे एक प्रबुद्ध विचारक, राजनीतिज्ञ और सामाजिक सुधारक थे। उनका जीवन भारतीय राजनीति, समाज और बौद्धिक विकास की दिशा में एक प्रेरणादायक यात्रा रहा है।
28 फरवरी 1927 को को जन्मे कृष्ण कान्त बचपन से ही मेधावी और अध्ययनशील प्रवृत्ति के थे। उन्होंने विज्ञान और राजनीति में गहरी रुचि ली और अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया। वे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरित होकर राष्ट्रीय आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। उन्होंने सामाजिक सुधारों को भी बढ़ावा दिया और जातिवाद, छुआछूत तथा असमानता के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की।
वे समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे और देश की प्रगति तथा सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्हें विभिन्न राजनीतिक पदों पर कार्य करने का अवसर मिला, जिनमें राज्यसभा सदस्य, लोकसभा सदस्य, और अंततः भारत के उपराष्ट्रपति पद पर आसीन होना शामिल था। 1997 में कृष्ण कान्त भारत के उपराष्ट्रपति बने और उन्होंने इस पद पर 2002 तक कार्य किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
राजनीति के अलावा कृष्ण कान्त ने शिक्षा, पर्यावरण और विज्ञान के क्षेत्र में भी योगदान दिया। वे कई शिक्षण संस्थानों और विज्ञान संगठनों से जुड़े रहे और उन्होंने युवाओं को प्रगतिशील सोच अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों को भी बढ़ावा दिया।
दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता हैं, जो लंबे समय से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद के रूप में उन्होंने राजनीति में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी 1947 को मध्य प्रदेश में हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित राजपरिवार से संबंध रखते हैं। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
दिग्विजय सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1969 में कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में की। 1977 में वे राजगढ़ से विधायक चुने गए और इसके बाद उन्होंने राजनीति में तेजी से अपनी पहचान बनाई। 1984 में वे पहली बार लोकसभा सांसद बने। उनके संगठनात्मक कौशल और प्रशासनिक दक्षता के चलते वे पार्टी के एक मजबूत स्तंभ बन गए।
1993 में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की, और दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। वे लगातार दो बार (1993-1998 और 1998-2003) मुख्यमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में ग्रामीण विकास, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण नीतियाँ लागू की गईं।
मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद, दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की। वे कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे और उत्तर प्रदेश, असम, बिहार सहित कई राज्यों में पार्टी संगठन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विजय बहुगुणा
विजय बहुगुणा भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण नेता रहे हैं, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है। वे न केवल एक राजनेता रहे हैं, बल्कि एक वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायपालिका से जुड़े व्यक्ति भी रहे हैं।
विजय बहुगुणा का जन्म 28 फरवरी 1947 को हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता हेमवती नंदन बहुगुणा भी एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। विजय बहुगुणा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद कानून की पढ़ाई की और एक सफल वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया। वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रहे हैं और न्यायिक क्षेत्र में उनकी प्रतिष्ठा काफी उच्च रही है।
विजय बहुगुणा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के साथ की। वे 2002 में टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद वे उत्तराखंड के प्रमुख नेताओं में गिने जाने लगे। 13 मार्च 2012 को विजय बहुगुणा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
2016 में विजय बहुगुणा ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने का निर्णय लिया। यह उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम था। उनके साथ कई अन्य कांग्रेस विधायकों ने भी भाजपा का दामन थामा।
विजय बहुगुणा उत्तराखंड की राजनीति में एक प्रभावशाली नेता रहे हैं। उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखी और राज्य के विकास के लिए अपनी राजनीतिक सक्रियता बनाए रखी। उनके निर्णय और विचारधारा ने उत्तराखंड की राजनीतिक संरचना को प्रभावित किया।