नयी दिल्ली : क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिसिस की मासिक रिपोर्ट ‘रोटी चावल कीमत’ के अनुसार, ताजा फसल आने से प्याज, आलू और टमाटर की कीमतों में क्रमशः सात प्रतिशत, 17 प्रतिशत और 25 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, वहीं फरवरी में शाकाहारी और मांसाहारी थाली की लागत में मासिक आधार पर पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों और ब्रॉयलर की कीमतों में आई नरमी के कारण हुई।
इसके अतिरिक्त दक्षिण भारत में ‘बर्ड फ्लू’ की आशंका के चलते ब्रॉयलर की मांग में कमी आई, जिससे इसकी कीमत में लगभग पांच प्रतिशत की गिरावट हुई। क्रिसिल इंटेलिजेंस के शोध निदेशक पी. शर्मा ने कहा, “शाकाहारी थाली की लागत में कमी सब्जियों, खासकर प्याज, टमाटर और आलू की कीमतों में गिरावट के कारण हुई। वहीं, मांसाहारी थाली की लागत में ब्रॉयलर की कीमत कम होने से गिरावट आई है।”
रिपोर्ट के अनुसार सालाना आधार पर शाकाहारी थाली की लागत फरवरी में एक प्रतिशत घटी, जबकि मांसाहारी थाली की कीमत में लगभग छह प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। शाकाहारी थाली की कीमत में सालाना गिरावट टमाटर और एलपीजी सिलेंडर के दाम में कमी के कारण हुई। टमाटर की कीमत पिछले साल के मुकाबले 28 प्रतिशत घटकर 23 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो पहले 32 रुपये प्रति किलोग्राम थी। इसका मुख्य कारण आवक में 20 प्रतिशत की वृद्धि है।
वहीं, मांसाहारी थाली की लागत में वृद्धि ब्रॉयलर की कीमत में 15 प्रतिशत सालाना वृद्धि के कारण हुई। ब्रॉयलर की कीमत थाली की कुल लागत का लगभग 50 प्रतिशत होती है। इस बढ़ोतरी के पीछे मुख्य वजह पिछले साल कम कीमत का तुलनात्मक आधार है, जब आपूर्ति अधिक होने के कारण कीमतें गिरी थीं। इसके अलावा, चारे की बढ़ी हुई लागत ने भी इस वृद्धि में योगदान दिया, क्योंकि मक्का की कीमत में छह प्रतिशत की सालाना वृद्धि हुई।
क्रिसिल ने बताया कि थाली की औसत लागत की गणना देश के चारों प्रमुख क्षेत्रों— उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित कच्चे माल की कीमतों के आधार पर की जाती है। मासिक बदलाव से यह संकेत मिलता है कि आम उपभोक्ता के खर्च पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है। आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि अनाज, दाल, ब्रॉयलर, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस जैसे उत्पाद थाली की कीमत में बदलाव लाने वाले प्रमुख कारक हैं।