नई दिल्ली : भारतीय सिनेमा में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो अपने अनूठे अंदाज और सृजनात्मकता से दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ते हैं। ऐसे ही एक निर्देशक थे मनमोहन देसाई, जिन्होंने 1970 और 1980 के दशक में बॉलीवुड को ‘मसाला फिल्मों’ का नया स्वाद दिया। उनकी फिल्में मनोरंजन, ड्रामा, एक्शन, इमोशन और संगीत का अद्भुत मिश्रण थीं, जिसने दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने का काम किया। उनका मानना था कि “मनोरंजन ही सिनेमा का असली उद्देश्य है” और इसी सिद्धांत पर उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं।
मनमोहन देसाई का जन्म 26 फरवरी 1937 को मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) में हुआ था। उनका परिवार फिल्म निर्माण से जुड़ा हुआ था; उनके पिता किकूभाई देसाई एक फिल्म निर्माता थे। हालांकि, उनके पिता की असमय मृत्यु के बाद परिवार पर आर्थिक संकट आ गया और मनमोहन को फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर खुद बनाना पड़ा। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1960 के दशक में की और धीरे-धीरे बतौर निर्देशक पहचान बनानी शुरू की। 1960 के दशक में उनकी शुरुआती फिल्में आईं, लेकिन उन्हें असली सफलता 1970 के दशक में मिली।
सिनेमा में योगदान और प्रमुख फिल्में
मनमोहन देसाई की फिल्मों में हमेशा एक खास तरह की कहानी होती थी—अलग हुए परिवार, मेलोड्रामा, जबरदस्त एक्शन, शानदार गीत-संगीत और कॉमेडी का अनूठा संगम। उनकी फिल्मों का लक्ष्य मात्र मनोरंजन था, और उन्होंने यह बखूबी किया। अगर 1970 और 80 के दशक की सबसे चर्चित निर्देशक-अभिनेता जोड़ी की बात करें, तो मनमोहन देसाई और अमिताभ बच्चन का नाम सबसे ऊपर आता है। उन्होंने अमिताभ बच्चन को लेकर कई सुपरहिट फिल्में बनाई, जिनमें प्रमुख हैं:-
- अमर अकबर एंथनी (1977) – यह फिल्म तीन भाइयों की कहानी पर आधारित थी, जो बचपन में बिछड़ जाते हैं और अलग-अलग धर्मों के परिवारों में बड़े होते हैं। इसमें अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और ऋषि कपूर की शानदार अदाकारी थी।
- परवरिश (1977) – यह फिल्म पारिवारिक ड्रामा और एक्शन का मिश्रण थी, जिसमें शशि कपूर और अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिकाओं में थे।
- नसीब (1981) – इसमें अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, हेमा मालिनी और शत्रुघ्न सिन्हा मुख्य भूमिका में थे।
- सत्ते पे सत्ता (1982) – यह फिल्म सात भाइयों की मजेदार कहानी थी और अमिताभ बच्चन इसमें डबल रोल में नजर आए थे।
- कुली (1983) – यह फिल्म मशहूर हो गई क्योंकि इसकी शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन को गंभीर चोट लगी थी।
- मर्द (1985) – यह उनकी आखिरी बड़ी हिट फिल्म थी, जिसमें अमिताभ बच्चन ने एक मजबूत और जिंदादिल किरदार निभाया था।
मनमोहन देसाई ने अमिताभ बच्चन के अलावा अन्य अभिनेताओं के साथ भी बेहतरीन फिल्में दीं। उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों में शामिल हैं:
- चाचा भतीजा (1977) – धर्मेंद्र और रणधीर कपूर की इस फिल्म में मजेदार कॉमेडी और ड्रामा था।
- रोटी (1974) – इस फिल्म में राजेश खन्ना और मुमताज की जोड़ी थी, और यह एक जबरदस्त एक्शन-ड्रामा फिल्म थी।
फिल्मों की खासियत और निर्देशन शैली
मनमोहन देसाई की फिल्मों की कुछ अनोखी विशेषताएँ थीं, जो उन्हें बाकी निर्देशकों से अलग बनाती थीं:
- बिछड़े हुए परिवारों की कहानी – उनकी अधिकतर फिल्मों में परिवार का बिछड़ना और अंत में मिलना आम बात थी। “अमर अकबर एंथनी” इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
- मजबूत भावनात्मक जुड़ाव – उनकी फिल्मों में रिश्तों की भावनात्मक गहराई होती थी, चाहे वह मां-बेटे का रिश्ता हो या भाइयों के बीच का प्रेम।
- मसाला एंटरटेनमेंट – उनकी फिल्में पूरी तरह से मनोरंजन पर केंद्रित होती थीं, जिनमें एक्शन, रोमांस, ड्रामा, और कॉमेडी का सही संतुलन रहता था।
- संगीत और डांस – उनके द्वारा निर्देशित फिल्मों के गाने बेहद लोकप्रिय होते थे। उन्होंने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और कल्याणजी-आनंदजी जैसे संगीतकारों के साथ काम किया।
1980 के दशक के अंत में मनमोहन देसाई का करियर ढलान पर आने लगा। उनकी आखिरी कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रहीं, और उन्होंने फिल्म निर्माण से धीरे-धीरे दूरी बना ली। 1 मार्च 1994 को (समाचार के अनुसार) मनमोहन देसाई गिरगांव में बालकनी की जिस रेलिंग पर वे टिके हुए थे, वह टूट गई और बालकनी से गिरने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई।
हालांकि, उनकी फिल्मों की लोकप्रियता कभी कम नहीं हुई। आज भी उनकी फिल्में टीवी पर बार-बार देखी जाती हैं, और नई पीढ़ी के दर्शकों को भी उतना ही मनोरंजन देती हैं। उनका योगदान केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं था; उन्होंने बॉलीवुड को एक नई पहचान दी और दर्शकों को सिनेमा का नया अनुभव प्रदान किया।
आज भी जब हम बॉलीवुड की सबसे मनोरंजक फिल्मों की बात करते हैं, तो मनमोहन देसाई का नाम हमेशा सम्मान से लिया जाता है। उनकी विरासत अमर रहेगी और उनकी फिल्में दर्शकों का मनोरंजन करती रहेंगी।