नई दिल्ली : वर्ष 2025 में चार ग्रहण लगने वाले हैं, जिनमें से पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को होली के दिन लगेगा। इस दौरान चंद्रमा रक्तवर्ण यानी ब्लड मून के रूप में नजर आएगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, कुछ विद्वानों का मानना है कि 101 वर्षों बाद ऐसा विशेष योग बन रहा है। इस संयोग के चलते ग्रहण को एक महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा है।
कैसे लगता है चंद्र ग्रहण?
चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है और चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में चला जाता है। इस घटना को ही चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
राहु-केतु और ग्रहण का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु और केतु खगोलीय बिंदु होते हैं जो चंद्रमा के पृथ्वी की परिक्रमा करने से बनते हैं। इनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता, लेकिन ज्योतिष में इनका बहुत अधिक महत्व होता है।
- राहु-केतु केवल मनुष्यों पर ही नहीं, बल्कि पूरे भूमंडल पर प्रभाव डालते हैं।
- जब सूर्य और चंद्रमा, राहु या केतु के साथ आ जाते हैं, तो ग्रहण योग बनता है।
- ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर कुछ समय के लिए अंधकार छा जाता है और समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होते हैं।
ग्रहण की तिथि, समय और अवधि
- ग्रहण की तिथि: 14 मार्च 2025 (फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा)
- ग्रहण शुरू होने का समय: सुबह 10:41 बजे (भारतीय समय)
- ग्रहण समाप्त होने का समय: दोपहर 2:18 बजे (भारतीय समय)
- ग्रहण की कुल अवधि: 3 घंटे 37 मिनट
किन क्षेत्रों में दिखेगा ग्रहण?
यह खग्रास चंद्र ग्रहण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप के अधिकांश भाग, अफ्रीका के बड़े हिस्से, प्रशांत, अटलांटिक और आर्कटिक महासागर, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया तथा अंटार्कटिका में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। भारत में यह चंद्र ग्रहण नहीं दिखाई देगा, इसलिए सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।