नई दिल्ली : शरभ अवतार भगवान शिव के 19वें अवतार माने जाते हैं। यह अवतार भगवान शिव ने भगवान नरसिंह (विष्णु के अवतार) को शांत करने के लिए लिया था।
शरभ अवतार की कथा
जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए नरसिंह अवतार लिया, तब उनका क्रोध शांत नहीं हो रहा था। उनके इस विकराल रूप से तीनों लोक भयभीत हो गए। तब देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे नरसिंह को शांत करें।
भगवान शिव ने तब शरभ अवतार धारण किया, जो आधा सिंह और आधा पक्षी (गरुड़ के समान) था। कुछ कथाओं में इसे सिंह और हाथी का मिश्रित रूप भी बताया गया है। यह अवतार अत्यंत शक्तिशाली और विशाल था।
शरभ ने नरसिंह को अपनी पूंछ में लपेट लिया और उन्हें शांत किया। कुछ ग्रंथों में यह भी वर्णित है कि शरभ अवतार ने नरसिंह को पूरी तरह वश में कर लिया और उनका अहंकार नष्ट किया, जिससे वे अपने शांत रूप में आ गए।
शरभ अवतार का महत्व
- यह अवतार भगवान शिव की सर्वोच्च शक्ति और नियंत्रण को दर्शाता है।
- यह अहंकार के विनाश और धैर्य के महत्व का प्रतीक है।
- शिव के इस अवतार की पूजा करने से भय, क्रोध और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
संस्कृत स्रोतों में उल्लेख
- लिंग पुराण
- शिव पुराण
- स्कंद पुराण
कुछ परंपराओं में इसे शरभेश्वर के रूप में पूजा जाता है, और इनके मंदिर भी पाए जाते हैं।