Purvashada Nakshatra: पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक बुद्धिमान, तार्किक, अपनी बात पर अड़े रहने वाले, ईश्वर भक्त, विनम्र, पाखंड रहित तथा सहृदय एवं सहायक प्रवृत्ति के होते हैं। यह जल नक्षत्र है। अत : ये लोग जहाँ प्रसन्न होते है वहाँ खूब बरसते हैं । जहाँ नाराज होते हैं वहाँ सूखा ही रखते हैं । स्वाभिमान इनके भीतर कूट – कूटकर भरा होता है।
ये अपने तरीके से जीवन में आनन्दित होते हैं । ये लोग मित्रता भी पक्की करते हैं । इन्हें बार – बार पानी पीने की आदत होती है। पसीना अधिक आता है तथा कई बार मूत्र त्याग के लिए जाते हैं । यदि लत पड़ जाए तो ये लोग शराब भी खूब हद तक पीते हैं । सामान्यतया जल के माध्यम से या नदी पार , समुद्र पार के स्थानों से अच्छा धन कमाते हैं।
इन जातकों में एक ही कमी होती है कि जहाँ वे बहुत जल्दी ही किसी निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं, वहाँ निर्णय करने में सदैव सोच-विचार, तर्क-कुतर्क किया करते हैं । लेकिन उनमें यह भी एक गुण होता है कि एक बार निर्णय करने के बाद वे उससे पीछे नहीं हटते, भले ही उन्हें मालूम भी पड़ जाए कि उनका निर्णय सही नहीं है । ऐसे जातक अच्छी शिक्षा पाते हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में उनकी प्रतिभा खास तौर पर चमकती है। उनमें गुह्य विद्याओं के अध्ययन के प्रति भी पर्याप्य रुचि होती है । इनका वैवाहिक जीवन न्यूनाधिक रूप से सुखी ही रहता है। इसका एक कारण यह है कि तमाम विवादों के बावजूद वे पत्नी को बेहद प्यार करते हैं । ऐसे जातकों की संतानें भी अच्छी होती हैं । ऐसे जातकों को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष ध्यान देना चाहिए, विशेषकर श्वास सम्बन्धी किसी भी शिकायत को हल्के से नहीं लेना चाहिए।
♦️पूर्वाषाढा नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं सुंदर होती हैं । ऐसी जातिकाएं बुद्धिमती, ऊर्जा युक्त, सक्रिय और उत्साह से पूर्ण होती हैं। वे विपरीत परिस्थितियों में झुकना नहीं जानती तथा वे काफी सोच-विचार व सभी अच्छे-बुरे पहलुओं का आकलन करने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुँचती हैं । झूठ से उन्हें चिढ़ होती है, क्योंकि वे स्वयं सत्य पर विश्वास करती हैं । वे अपनी बात भी निःसंकोच भाव से व्यक्त कर देती हैं । गृह कार्य में चतुर ऐसी जातिकाएं पति की प्रसन्नता का पूरा ध्यान रखती हैं । उनका पारिवारिक जीवन सुखी ही बीतता है । ऐसी जातिकाओं का स्वास्थ्य प्रायः ठीक ही रहता है, तथापि उन्हें गर्भाशय संबंधी किसी शिकायत की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
👉प्रथम चरण में बड़ा मुँह , बड़ी आँखें , बड़े कान , बड़ी भौंह , बाघ के समान चुस्त दुरुस्त शरीर वाला , भारी व ऊँचे कन्धे , साधारण रोम , दृढ बुद्धि विचारों वाला होता है ।
👉 द्वितीय चरण में चमकीली आँखें , काली पुतली , बड़ा माथा , सुन्दर व्यक्तित्व , काव्य में रति रखने वाला , भारी व बड़ा चेहरा , विद्वानों की तरह बातें करने वाला , अच्छा धनी होता है ।
👉 तृतीय चरण में सांवली रंगत , कोमल तन मन , बोलने में कुशल , ऊँचा सिर , धनसंग्रह करने व विशिष्ट चीजों को इकट्ठा करने का शौकीन , लम्बा कद , बड़ी आँखें , उदार बुद्धि लेकिन रौबीला होता है ।
👉चतुर्थ चरण में नाक के अग्रभाग पर चपटापन , बड़ा सिर , पक्की शत्रुता वाला , भ्रमित दृष्टि , प्रलाप करने वाला , बड़बड़ाने वाला , गुरुजनों का विश्वसनीय होता है ।
♦️ कारकत्व ♦️
समुद्री यात्रा , नाव , मर्चेण्ट नेवी , पानी के जन्तु , मछली आदि , पुल बनाना , पानी का व्यवसाय , कोल्ड ड्रिंक व्यवसाय , पानी में पैदा होने वाले पदार्थ , धन विनिवेश व्यवसाय , फूलों व फलों का व्यवसाय
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यह फलादेश अलग – अलग ग्रन्थों से लिया गया है । यह एक सामान्य जानकारी है । कोई आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन से सभी बातें मिलान करें । नक्षत्र , ग्रह , राशि के साथ सम्पूर्ण कुंडली विश्लेषण के बाद आखिरी निर्णय होता है ।