नई दिल्ली : सोमवार को दिल्ली सरकार को निर्देश देते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दो सप्ताह के भीतर 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की सजा माफी पर निर्णय लिया जाए। यादव बिना किसी छूट के 20 साल की सजा पूरी कर रहा है, जो 10 मार्च 2025 को समाप्त हो रही है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सरकार से पूछा कि जब दोषी की 20 साल की सजा लगभग पूरी हो चुकी है, तो उसे अब भी जेल में क्यों रखा गया है। न्यायालय ने कहा, “आखिरकार, यह मामला व्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है।”
न्यायमूर्ति ओका ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार को पहले ही सजा माफी की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए थी और सजा की अवधि पूरी होने के बाद दोषी को जेल में रखना उचित नहीं है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के मामले पर दो सप्ताह में विचार किया जाएगा। न्यायालय ने आदेश दिया कि मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी।
इससे पहले, 24 फरवरी को अदालत ने दिल्ली सरकार की उस दलील पर सवाल उठाया था, जिसमें कहा गया था कि वह दोषी को 20 साल की वास्तविक जेल अवधि पूरी होने के बाद भी रिहा नहीं करेगी। न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि “आजीवन कारावास, छूट पर विचार किए बिना, 20 वर्षों की वास्तविक सजा के बराबर होगा, जिसमें 10,000 रुपये का जुर्माना भी शामिल है।”
गौरतलब है कि 2016 में उच्चतम न्यायालय ने नीतीश कटारा अपहरण और हत्या मामले में विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल यादव को बिना किसी छूट के 25 साल की सजा सुनाई थी, जबकि सह-दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान को 20 साल की सजा दी गई थी।