नई दिल्ली : फिल्मी दुनिया को छोड़ आध्यात्मिक मार्ग अपनाने वालीं श्रीयामाई ममतानंद गिरि (पूर्व में ममता कुलकर्णी) ने किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर की उपाधि त्यागने की घोषणा कर दी है। उन्होंने वीडियो संदेश जारी कर बताया कि उनके महामंडलेश्वर बनने के कारण किन्नर अखाड़ा और परी अखाड़ा की जगदगुरु हिमांगी सखी के बीच विवाद चल रहा था।
ममतानंद गिरि ने कहा कि अखाड़े के सदस्यों के बीच मारपीट की घटनाओं से वे आहत हैं, और इसी कारण उन्होंने महामंडलेश्वर की उपाधि छोड़ने का निर्णय लिया है। हालांकि, किन्नर अखाड़ा ने उनके त्यागपत्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
24 जनवरी को किन्नर अखाड़ा में ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया गया था। इस दौरान अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें नया नाम श्रीयामाई ममतानंद गिरि दिया था। लेकिन उनके महामंडलेश्वर बनने का शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप, हिमांगी सखी समेत कई संतों ने विरोध किया था। विरोधियों का आरोप था कि ममता कुलकर्णी के अंडरवर्ल्ड से संबंध रहे हैं और उन पर देशद्रोह का मामला भी दर्ज है। ऐसे में उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दिया जाना अनुचित है।
ममतानंद गिरि ने कहा, “मैं 25 वर्षों से साध्वी की तरह तप कर रही हूं। हमेशा साध्वी रहूंगी। श्रीचैतन्य गगन गिरि के सानिध्य में मैंने तपस्या की है। वह सिद्ध पुरुष थे। उनके आस-पास कोई धर्मगुरु नहीं हैं। सब अहंकार में डूबे हैं। एक-दूसरे से झगड़ रहे हैं। इससे मन आहत हो गया। कहा कि हिमांगी सखी के बारे में मैं कुछ नहीं कहना चाहती। ब्रह्म विद्या से उनका कोई लेना-देना नहीं है। मैं डॉ. लक्ष्मी नारायण का सम्मान करती हूं।”
इस घटनाक्रम के बाद किन्नर अखाड़ा में हलचल तेज हो गई है, लेकिन अखाड़े ने अब तक ममतानंद गिरि का त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया है।