Maha Daridra Yoga: धन एक ऐसी चीज है जीवन में बहुत ही उपयोगी वस्तु होती है। धन के अभाव में जीवन का चल पाना बहुत ही मुश्किल होता है। जीवन में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो जीवन में बहुत मेहनत करते हैं। लेकिन फिर भी अपने जीवन को जीने लायक भी धन नहीं कमा पाते हैं। यदि इस प्रकार के लोगों की बात करें तो इन लोगों की कुंडली में महादरिद्र योग होता है। जिसके कारण इनके जीवन में धन की कमीं हमेशा बनी रहती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं कैसे बनता है महादरिद्र योग और क्या है इसके उपाय।
Maha Daridra Yoga: महादरिद्र योग और इसके उपाय
यदि कुंडली में एकादश भाव का स्वामी ग्रह 6, 8 या 12 भाव में हो साथ ही लाभेश नीच का हो, अस्त हो या पाप पीड़ित हो तो जातक महादरिद्र होता है। तृतीयेश नवमेश व दशमेश यदि निर्बल, नीचराशिगत या अस्त हो तो जातक को भिक्षुक योग बनता है।
दशम भाव का स्वामी यदि षष्ठ अष्टम या द्वादश में हो। इस योग के कारण जातक को अपने परिश्रम का पूर्ण फल नहीं मिलता। धन अभाव की पीड़ा हमेशा बनी रहती है। ऐसा जातक धन के लिए दूसरों से याचना करता रहता है।
दरिद्रता निवारण हेतु उपाय : घर के पूजा स्थल पर प्राण प्रतिष्ठित सिद्ध श्रीयंत्र स्थापित करें और प्रतिदिन सुबह-शाम धूप व गौघृत का दीपक जलायें।
ऐसे जातक को हमेशा चांदी के गिलास में ही जल या कोई पेय पदार्थ पीना चाहिए।
जिस जातक की कुंडली में ये योग बनता है उसे सूर्यास्त के पश्चात दूध नहीं पीना चाहिए।
ऐसे जातक को हर सोमवार को बबूल के पेड़ की जड़ में दूध चढ़ाना चाहिए।
ऐसे जातक को हर पूर्णिमा को तीन सफेद फूल बहती नदी में बहाने चाहिए।
ऐसे जातक को विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा भी करनी चाहिए।