नोएडा। गत दिनों बीपीए फाउंडेशन एवं इंडिया नेटबुक्स ने साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन दिल्ली के मयूर विहार फेस-1 क्षेत्र में स्थित होटल क्राउन प्लाजा में बहुत ही शानदार व गरिमामयी तरीके से आयोजित किया गया। इस अवसर पर हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गिरीश पंकज को वेदव्यास सम्मान, दिविक रमेश को महाकवि कालिदास सम्मान और संतोष श्रीवास्तव को वागेश्वरी सम्मान से सम्मानित किया गया। इस समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार चित्रा मुद्गल जी, पूर्व जस्टिस एस. एन. श्रीवास्तव जी, विशिष्ट अतिथि चंद्रप्रकाश देवल जी, प्रकाश मनु जी, यू.जी. ब्रह्म जी, मुकेश भारद्वाज जी, प्रेम जनमेजय जी, संतोष खन्ना जी तथा श्याम सखा श्याम को भी सम्मानित किया गया। अलंकरण समारोह में क्षेत्रीय भाषाओं के लिए सम्मान में श्री सी. पी. देवल को राजस्थानी, यू.जी. ब्रहम को बोडो भाषा में विशेष शिखर सम्मान प्रदान किया गया।
इसके अलावा साहित्य विभूषण 25, साहित्य भूषण सम्मान 30, साहित्य रत्न 45 व्यक्तित्वों को हिंदी की भिन्न-भिन्न विधाओं में उल्लेखनीय रचनाकार्य हेतु प्रदान किए गए।
अन्य साहित्यकारों/पत्रकारों में – सर्वश्री मुकेश भारद्वाज, नंद भारद्वाज, शैलेंद्र कुमार शर्मा, तेजिंदर शर्मा, प्रमोद गोविल, ममता किरण, नूतन पांडेय, शिव मोहन यादव, महेश कटारे, मधुकांत, राघवेश अस्थाना, यशपाल सिंह बुंदेला, आलोक शुक्ला, पल्लवी लोहनी, मन्नू यादव आदि सम्मानित हुए।
हिंदी साहित्य के अलंकरण सम्मान समारोह में यह देश का सबसे भव्य समारोह रहा। हालांकि हिंदी के साहित्यकारों के लिए या हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य कर रही केंद्रीय या क्षेत्रीय सरकारें भी इस तरह का सम्मान समारोह कराने में अभी तक भी बहुत पीछे हैं।
इस साहित्य सम्मान समारोह के समापन सत्र में हिंदी साहित्यकारों के साथ-साथ बीपीए फाउंडेशन व इंडिया नेटबुक्स पब्लिकेशन ने हिंदी में उत्कृष्ट व सराहनीय सेवाओं के लिए सर्वश्री अभयराज शर्मा, नरेंद्र कुमार, रमेश वर्मा, अरुण शर्मा, सुनील कुमार, आबिद अली, शुभम, सुश्री शैली माथुर, इतिका, राधिका शर्मा, विनय माथुर, प्रदीप कुमार शुक्ला, अंजली, कुंदन व अन्य विभूतियों को भी बीपीए फाउंडेशन व इंडिया नेटबुक्स के निदेशक-डॉ. संजीव कुमार जी के हाथों शाल व शील्ड आदि से सम्मानित किया गया। इंडिया नेटबुक्स की सीईओ मनोरमा जी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही इस अवसर पर बीपीए फाउंडेशन की न्यासी कामिनी जी की लगातार सक्रिय उपस्थिति भी समारोह को अत्यंत गौरवमयी करने में महती सिद्ध रही।