नई दिल्ली : भारतीय राजनीति में कई ऐसे नेता हुए हैं जिन्होंने अपने प्रभावशाली नेतृत्व और मजबूत व्यक्तित्व के कारण जनता के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया। इनमें से एक नाम जयललिता का है, जिन्होंने तमिलनाडु की राजनीति में एक शक्तिशाली नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनकी जिंदगी संघर्ष, समर्पण और सफलता की मिसाल है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को कर्नाटक के मैसूर (अब मेलुरकोट, तमिलनाडु) में हुआ था। उनका पूरा नाम जयराम जयललिता था। उनके पिता का नाम जयराम था, जो एक वकील थे, लेकिन उनके निधन के बाद जयललिता का परिवार आर्थिक संकट में आ गया। उनकी मां वेदावल्ली ने फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया और परिवार का पालन-पोषण किया।
जयललिता बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज थीं। उन्होंने बंगलुरु के बिशप कॉटन गर्ल्स स्कूल और चेन्नई के चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। वह आगे की पढ़ाई करना चाहती थीं, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें फिल्मी दुनिया की ओर मोड़ दिया।
फिल्मी करियर
जयललिता ने महज 16 वर्ष की उम्र में तमिल फिल्म ‘वेन्नीर अडाई’ (1965) से अभिनय की दुनिया में कदम रखा। वह दक्षिण भारतीय सिनेमा की सबसे सफल अभिनेत्रियों में गिनी जाती थीं। उन्होंने एम. जी. रामचंद्रन (एमजीआर) के साथ कई हिट फिल्में दीं, जिनमें ‘आयिराथिल ओरुवन’, ‘अडिमाई पेन’ और ‘एंगिरुंदो वंधाल’ प्रमुख हैं। उनकी सुंदरता, अभिनय क्षमता और नृत्य कौशल ने उन्हें तमिल सिनेमा की शीर्ष अभिनेत्रियों में शामिल किया।
राजनीति में प्रवेश
जयललिता के राजनीतिक सफर की शुरुआत उनके फिल्मी जीवन के सहयोगी और तमिलनाडु के लोकप्रिय नेता एम. जी. रामचंद्रन (एमजीआर) के मार्गदर्शन में हुई। एमजीआर ने 1977 में उन्हें अन्नाद्रमुक (AIADMK) में शामिल किया और 1984 में राज्यसभा सदस्य बनाया।
1987 में एमजीआर की मृत्यु के बाद पार्टी में सत्ता संघर्ष शुरू हो गया। जयललिता ने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया और धीरे-धीरे पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। 1989 में वह तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष की नेता बनीं।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल
1991 में, जयललिता ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद उन्होंने कुल छह बार मुख्यमंत्री का पद संभाला। उनके शासनकाल में कई विकास योजनाएं लागू की गईं, जिनमें महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शामिल थीं।
उनकी लोकप्रिय योजनाओं में “अम्मा कैंटीन”, “अम्मा पानी”, “अम्मा फार्मेसी” और “अम्मा मिनी बस सेवा” शामिल थीं, जो गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए वरदान साबित हुईं।
संकट और संघर्ष
जयललिता का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा, लेकिन हर बार वह पहले से ज्यादा मजबूत होकर उभरीं। 2014 में, उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया गया और उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। लेकिन 2015 में उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया और वह फिर से मुख्यमंत्री बनीं।
व्यक्तित्व और विरासत
जयललिता का व्यक्तित्व अत्यंत सशक्त और करिश्माई था। जनता उन्हें ‘अम्मा’ (मां) कहकर बुलाती थी, क्योंकि उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए कई योजनाएं चलाईं। उन्होंने तमिलनाडु की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया और एक सशक्त महिला नेता के रूप में मिसाल कायम की।
अंतिम समय और निधन
सितंबर 2016 में जयललिता को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। लगभग 75 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद, 5 दिसंबर 2016 को उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु ने पूरे देश को शोक में डाल दिया, और तमिलनाडु में लाखों समर्थकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
जयललिता सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में एक युग थीं। उनकी लोकप्रियता, प्रशासनिक क्षमता और संघर्षशील व्यक्तित्व ने उन्हें भारतीय राजनीति में अमर बना दिया। उनके कार्यों और योजनाओं का प्रभाव आज भी तमिलनाडु की जनता के जीवन में देखा जा सकता है। जयललिता ने यह साबित किया कि राजनीति में आत्मनिर्भरता, निडरता और समर्पण से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।