नयी दिल्ली, भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) लखनऊ ने एक अध्ययन में ऑनलाइन यात्रा एजेंसियों (ओटीए) के चैटबॉट द्वारा सेवा विफलताओं के लिए ग्राहकों से माफी मांगने के तरीके की जांच की है। इसमें पता चला है कि बड़ी विफलताओं के लिए ‘ठोस भाषा’ का उपयोग किया जाना चाहिए, और छोटी समस्याओं के लिए ‘संक्षिप्त भाषा’ का उपयोग किया जाना चाहिए। एशिया पैसिफिक जर्नल ऑफ टूरिज्म रिसर्च में प्रकाशित इस अध्ययन की सह-लेखक आईआईएम लखनऊ की प्रोफेसर पायल मेहरा और ‘रिसर्च स्कॉलर’ ऋषभ चौहान हैं।
अध्ययन में जांच की गई है कि माफी के लिए प्रयुक्त भाषा ग्राहकों की स्वीकृति और क्षमाशीलता को किस प्रकार प्रभावित करती है। मेहरा ने कहा कि ठोस माफी में यह कहा जा सकता है, “आपकी बुकिंग में हुई देरी के लिए हमें खेद है। आपकी 100 डॉलर की धनराशि तीन व्यावसायिक दिनों के भीतर आपके खाते में जमा कर दी जाएगी।” वहीं संक्षिप्त माफी में बस इतना कहा जा सकता है, “हमें देरी के लिए खेद है। आपकी धनराशि शीघ्र ही आपके खाते में जमा कर दी जाएगी।”
शोध में यह पता लगाया गया है कि किस तरह की माफ़ी ग्राहकों को सेवा विफलताओं को माफ़ करने में मदद करने में अधिक प्रभावी है और किन परिस्थितियों में। शोधकर्ताओं ने अलग-अलग माफ़ी शैलियों के प्रति ग्राहकों की प्रतिक्रियाओं का आकलन करने के लिए तीन व्यापक अध्ययन किए। प्रतिभागियों ने ‘बॉट पेंगुइन’ मंच का उपयोग करके तैयार किए चैटबॉट के साथ बातचीत की, जिन्हें नकली सेवा विफलता के बाद संक्षिप्त या ठोस माफ़ी मांगने के लिए प्रोग्राम किया गया था। परिणामों से पता चला कि महत्वपूर्ण असफलताओं के लिए ग्राहकों से क्षमा प्राप्त करने में ठोस भाषा अधिक प्रभावी है, जबकि छोटे मुद्दों के लिए संक्षिप्त भाषा अधिक उपयुक्त है।