- भारत में जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने की सरकारी पहल
- बायोगैस उद्योग के राजस्व में $2.6 अरब (≈ 21,500 करोड़ रुपये) की संभावित बढ़ोतरी
- संपीड़ित बायोगैस (CBG) संयंत्रों से ‘ऑर्गेनिक कार्बन संवर्द्धक’ को उर्वरक की नई श्रेणी में जोड़ा गया
- मृदा की सेहत सुधारने और ग्लोबल वार्मिंग कम करने में मिलेगी मदद
Biogas business : बायोगैस और जैविक उर्वरकों को लेकर सरकार का बड़ा फैसला
भारत सरकार ने खेती में जैविक उर्वरकों (Organic Fertilizers) को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है, जिससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि बायोगैस उद्योग की ग्रोथ को भी नई दिशा मिलेगी। भारतीय बायोगैस एसोसिएशन (IBA) ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा है कि इससे बायोगैस उद्योग के राजस्व में $2.6 अरब डॉलर (≈ 21,500 करोड़ रुपये) की बढ़ोतरी हो सकती है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 1985 के उर्वरक नियंत्रण आदेश में बदलाव करते हुए, संपीड़ित बायोगैस (CBG) संयंत्रों से प्राप्त जैविक उर्वरकों को एक नई श्रेणी में शामिल किया है।
इस कदम का मुख्य उद्देश्य—
✅ कृषि क्षेत्र में जैविक उर्वरकों का उपयोग बढ़ाना
✅ मृदा की गुणवत्ता सुधारना
✅ रासायनिक उर्वरकों की निर्भरता कम करना
✅ पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना
इससे किसानों को अधिक संतुलित पोषक तत्व मिलेंगे और बायोगैस संयंत्रों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत भी खुलेगा।
बायोगैस उद्योग को होगा बड़ा फायदा
IBA के अनुसार, यह बदलाव बायोगैस उद्योग के लिए एक बड़ा अवसर क्यों है?
भारतीय बायोगैस एसोसिएशन के अध्यक्ष ए. आर. शुक्ला ने इस संशोधन की सराहना की और कहा कि—
“यह कदम न केवल मृदा की सेहत को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में भी सहायक साबित होगा।”
बायोगैस संयंत्रों में जैविक अपशिष्ट के किण्वन (Fermentation) से बायोगैस और जैविक उर्वरक दोनों का उत्पादन होता है। अब सरकार द्वारा जैविक उर्वरकों को औपचारिक रूप से उर्वरकों की श्रेणी में शामिल करने से इन संयंत्रों को अतिरिक्त आय अर्जित करने का मौका मिलेगा।
बायोगैस उद्योग को कैसे होगा आर्थिक लाभ?
👉 संपीड़ित बायोगैस (CBG) संयंत्रों से प्राप्त जैविक उर्वरकों की अब बाजार में वैध पहचान होगी।
👉 फार्मिंग सेक्टर में इनकी मांग बढ़ेगी, जिससे बायोगैस संयंत्रों की आय में वृद्धि होगी।
👉 सरकार की इस पहल से बायोगैस उद्योग को 2.6 अरब डॉलर का संभावित राजस्व मिलेगा।
भारत में मृदा की सेहत: क्यों जरूरी है जैविक उर्वरक?
IBA ने बताया कि भारत में मृदा जैविक कार्बन (Soil Organic Carbon – SOC) की मात्रा पिछले 70 वर्षों में 1% से घटकर 0.3% रह गई है। यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि जैविक कार्बन की कमी से—
❌ मृदा की उर्वरता घटती है
❌ फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है
❌ जल संरक्षण क्षमता कम होती है
❌ लंबे समय में मिट्टी बंजर हो सकती है
जैविक उर्वरक इस समस्या का समाधान है। ये मिट्टी को प्राकृतिक रूप से पुनर्जीवित करते हैं और मृदा में नमी बनाए रखते हैं, जिससे फसलों की पैदावार बेहतर होती है।
सरकार के इस कदम से किसानों को कैसे होगा फायदा?
1. कम लागत में बेहतर उपज
किसान अब जैविक उर्वरकों का उपयोग कर बेहतर गुणवत्ता वाली फसल उगा सकते हैं, बिना रासायनिक उर्वरकों पर अधिक खर्च किए।
2. मिट्टी की उर्वरता होगी दोगुनी
जैविक उर्वरक मिट्टी के प्राकृतिक पोषक तत्वों को बढ़ाते हैं, जिससे आने वाले वर्षों में मृदा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
3. पर्यावरण के लिए फायदेमंद
रासायनिक उर्वरकों की तुलना में जैविक उर्वरक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते, जलस्रोतों को प्रदूषित नहीं करते और जैव विविधता बनाए रखने में मदद करते हैं।
4. बायोगैस संयंत्रों से किसानों को सस्ती खाद उपलब्ध होगी
बायोगैस संयंत्रों से बनने वाले जैविक उर्वरक रासायनिक उर्वरकों की तुलना में सस्ते होंगे, जिससे छोटे और मध्यम किसानों को सीधा फायदा मिलेगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
कृषि विशेषज्ञ डॉ. आर. के. शर्मा कहते हैं:
“यह पहल किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होगी। जैविक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की सेहत सुधरेगी, जिससे भारत की कृषि उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।”
बायोगैस विशेषज्ञ डॉ. सुमित अग्रवाल कहते हैं:
“अब बायोगैस संयंत्र केवल ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि जैविक उर्वरकों के उत्पादन से भी मुनाफा कमा सकेंगे। यह कदम भारत में सतत कृषि (Sustainable Farming) की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।”
क्या यह कदम भारत की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करेगा?
रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी
भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फसल उत्पादन को बनाए रखना जरूरी है। जैविक उर्वरकों के उपयोग से—
✅ फसल की गुणवत्ता सुधरेगी
✅ मृदा में कार्बन संतुलन बेहतर होगा
✅ भविष्य में टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिलेगा
बायोगैस और जैविक उर्वरक से होगा ‘डबल बेनिफिट’
भारत सरकार द्वारा जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने का फैसला न केवल किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह बायोगैस उद्योग के लिए भी एक बड़ा अवसर लेकर आया है।
➡ बायोगैस संयंत्रों को अब अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।
➡ किसानों को सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल खाद उपलब्ध होगी।
➡ मिट्टी की सेहत सुधरेगी, जिससे फसल उत्पादन बेहतर होगा।
➡ ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय नुकसान कम होगा।