ACME Solar’s big investment: मुख्य बिंदु:
- एसीएमई सोलर अगले वित्त वर्ष में 17,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी
- हाइब्रिड और 24×7 नवीकरणीय ऊर्जा (FDRRE) परियोजनाओं पर रहेगा फोकस
- 2027 तक 5 गीगावाट और 2028 तक 7 गीगावाट क्षमता हासिल करने का लक्ष्य
- परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में उतरने की संभावनाएं तलाश रही कंपनी
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का बढ़ता दायरा
आज जब पूरी दुनिया ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) की ओर तेजी से बढ़ रही है, भारत भी सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और हाइब्रिड पावर सिस्टम पर बड़ा दांव लगा रहा है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए एसीएमई सोलर (ACME Solar) ने अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 17,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय (CapEx) निवेश की घोषणा की है।
यह निवेश मुख्य रूप से हाइब्रिड और 24×7 नवीकरणीय ऊर्जा (FDRRE – Firm & Dispatchable Renewable Energy) परियोजनाओं पर केंद्रित होगा। कंपनी का कहना है कि यह रणनीति न केवल राजस्व और मुनाफे को बढ़ाएगी, बल्कि ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता भी सुनिश्चित करेगी।
एसीएमई सोलर की दीर्घकालिक योजना: 2028 तक 7 गीगावाट की क्षमता
कंपनी के मुताबिक, 2027 तक 5 गीगावाट और 2028 तक 7 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। एसीएमई सोलर के सीईओ निखिल ढींगरा के अनुसार,
“हम अपनी नई परियोजनाओं को हाईब्रिड और FDRRE मॉडल पर केंद्रित करेंगे, जो कि हमारी व्यावसायिक रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।”
यह कदम भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता (Energy Independence) की ओर ले जाने में मदद करेगा और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में देश की स्थिति को और मजबूत करेगा।
FDRRE और हाइब्रिड ऊर्जा परियोजनाएं क्यों हैं महत्वपूर्ण?
1. FDRRE क्या है?
FDRRE (Firm & Dispatchable Renewable Energy) वे परियोजनाएं होती हैं, जो ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (Battery Storage Systems) से जुड़ी होती हैं। इनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि दिन-रात किसी भी समय स्थिर और निर्बाध हरित ऊर्जा (Renewable Power) की आपूर्ति हो सके।
2. हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली कैसे काम करती है?
हाइब्रिड ऊर्जा सिस्टम में सौर (Solar) और पवन (Wind) ऊर्जा संयंत्रों को बैटरी स्टोरेज के साथ जोड़ा जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि—
✔ जब सूरज न हो, तब भी बिजली मिलती रहे
✔ पवन ऊर्जा की अनिश्चितता को बैटरी से नियंत्रित किया जा सके
✔ ग्रिड पर लोड कम हो और स्थायी ऊर्जा आपूर्ति बनी रहे
परमाणु ऊर्जा में कदम रखने की तैयारी में एसीएमई सोलर?
एसीएमई सोलर ने यह भी संकेत दिया है कि वह परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं तलाश रही है। हालांकि, यह योजना अभी “ड्राइंग बोर्ड स्टेज” पर है, यानी शुरुआती चरण में है।
यदि एसीएमई परमाणु ऊर्जा में निवेश करती है, तो यह भारत के ऊर्जा मिश्रण (Energy Mix) में बड़ा बदलाव ला सकता है। परमाणु ऊर्जा को सबसे सुरक्षित, भरोसेमंद और दीर्घकालिक ऊर्जा स्रोत माना जाता है, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा।
एसीएमई सोलर का मौजूदा ऊर्जा पोर्टफोलियो
2024-25 के पहले नौ महीनों की स्थिति:
- कुल पोर्टफोलियो: 6,970 मेगावाट
- चालू परियोजनाएं: 2,540 मेगावाट
- निर्माणाधीन परियोजनाएं: 4,430 मेगावाट
- हाइब्रिड और FDRRE परियोजनाओं का हिस्सा: 49%
2025-26 में होने वाले बड़े बदलाव:
- ऊर्जा क्षमता में बड़ा इजाफा
- हाइब्रिड और 24×7 ऊर्जा पर फोकस
- नए निवेश और तकनीक का उपयोग
भारत की नवीकरणीय ऊर्जा नीति और सरकार की भूमिका
भारत सरकार ने 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसमें सौर, पवन, जल और बायोमास ऊर्जा शामिल हैं।
🔹 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने COP26 सम्मेलन में कहा था कि भारत 2070 तक “नेट ज़ीरो” (Net Zero) लक्ष्य हासिल करेगा।
🔹 PLI (Production-Linked Incentive) योजना के तहत सरकार स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं को सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
🔹 ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और सोलर पार्क योजना जैसी पहल भी नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई हैं।
एसीएमई सोलर जैसी कंपनियों का बड़ा निवेश भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एसीएमई सोलर के निवेश का असर: कौन होगा लाभार्थी?
उपभोक्ता: बिजली की लागत कम होगी, जिससे आम लोगों को सस्ती और स्थायी बिजली मिलेगी।
कृषि क्षेत्र: किसानों को निर्बाध बिजली मिलेगी, जिससे सिंचाई और कृषि उत्पादन में सुधार होगा।
उद्योग: इंडस्ट्रियल सेक्टर को सस्ती, हरित और स्थिर बिजली उपलब्ध होगी।
पर्यावरण: कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
रोजगार: नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से हजारों नई नौकरियों के अवसर बनेंगे।
भारत की ऊर्जा क्रांति में एसीएमई सोलर की बड़ी भूमिका
एसीएमई सोलर का 17,000 करोड़ रुपये का निवेश भारत में हरित ऊर्जा (Green Energy) की दिशा में एक बड़ा कदम है।
2025-26 में हाइब्रिड और 24×7 ऊर्जा परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
2027 तक 5 गीगावाट और 2028 तक 7 गीगावाट क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है।
परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश करने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
भारत को आत्मनिर्भर और स्थायी ऊर्जा भविष्य की ओर ले जाने में मदद मिलेगी।