नई दिल्ली। रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्त्वावधान में नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में सभी संतों ने एक-स्वर में कहा कि सीतामढ़ी में जानकी मंदिर निर्माण के लिए भूमि-पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही हाथों संपन्न होना चाहिए, और इसके लिए वे सभी प्रधानमंत्री से मिलकर निवेदन करेंगे। जूनापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि जिन हाथों से प्रभु श्रीरामलला अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठित हुए हैं, उन्हीं हाथों से सीतामढ़ी में मां सीताजी के मंदिर के लिए भूमि-पूजन का कार्य भी होना चाहिए।
इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने बताया कि मां सीताजी के प्राकट्य क्षेत्र सीतामढ़ी में उनकी भव्य प्रतिमा के निर्माण और पूरे क्षेत्र को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने का सपना जल्द ही साकार होने जा रहा है। इस ऐतिहासिक निर्माण कार्य के लिए बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद ने सीतामढ़ी में 12 एकड़ भूमि आवंटित कर दी है, जिसके लिए स्वामी ज्ञानानंद ने बिहार सरकार और केंद्र सरकार का धन्यवाद किया।
स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने बताया कि बिहार सरकार मां सीताजी के प्राकट्य-स्थल पर भी मां सीताजी का मंदिर बनाने के लिए पहल कर रही है। उन्होंने इस दिशा में कोई भ्रम न करने की अपील करते हुए कहा कि प्राकट्य-स्थल अलग है और सीतामढ़ी में जिस स्थान पर भव्य मंदिर और तीर्थ स्थल बनाने की योजना है वह मां सीताजी के प्राकट्य-स्थली से 4 किलोमीटर दूर है। उन्होंने बताया कि यह सीतामढ़ी का प्राचीन मठ है, जो बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अधीन है, जिसके जीर्णोद्धार के लिए रामायण रिसर्च काउंसिल लंबे समय से प्रयास कर रही थी और परिषद से इसके लिए अनुमति भी मांगी थी। उन्होंने प्रसन्नता जाहिर करते हुए बताया कि परिषद ने इसकी अनुमति दे दी है।
स्वामी जी ने कहा कि सीतामढ़ी में प्राकट्य-स्थली के अलावा कई और मठ-मंदिरों का जीर्णोद्धार हो, नव-निर्माण हो, यह भी बहुत आवश्यक है और इसी दिशा में रामायण रिसर्च काउंसिल की पहल काफी महत्त्वपूर्ण है। गीता मनीषी ने कहा कि इस परिसर में श्री हनुमान की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का भी निर्माण होगा।
आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि वे रामायण रिसर्च काउंसिल की गतिविधियों से परिचित रहे हैं और अब भूमि के आवंटन होने के बाद हम सभी संत मिलकर सीतामढ़ी में मां सीताजी के मंदिर निर्माण के लिए जन-जन के बीच अभियान चलाएंगे और नारी समाज को अधिक से अधिक जोड़ेंगे।
कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े जूना अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि जिस तरह प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर दिव्य मंदिर होने के साथ अयोध्या में कई मंदिर और मठ हैं तथा उनका जीर्णोद्धार भी हुआ है, उसी तरह मां सीताजी के प्राकट्य क्षेत्र सीतामढ़ी में भी जो भी प्रमुख स्थान हैं और प्राचीनता है, उसका प्रसार होना चाहिए।
ऑनलाइन माध्यम से परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती भी जुड़े। उन्होंने कहा कि मां सीताजी का जीवन प्रेरणादायी है और हम केवल मंदिर ही नहीं बनाएंगे, बल्कि मां सीताजी के जीवन-दर्शन को पूरी दुनिया के बीच लेकर जाने वाले हैं।
निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी चित्प्रकाशानंद गिरि जी महाराज ने पूरे विश्व के सनातन परिवार से आह्वान किया कि वह रामायण रिसर्च काउंसिल के साथ जुड़ें और मां सीताजी के इस मंदिर निर्माण के लिए सहयोग दें।
आचार्य रामचंद्र दास जी महाराज ने कहा कि उनके गुरू पद्मविभूषण जगतगुरु स्वामी श्रीरामभद्राचार्य जी महाराज ने सीतामढ़ी में मां सीताजी के प्राकट्य-क्षेत्र पुनौरा-धाम में मां सीताजी का मंदिर बनाने के लिए लंबे समय से पहल कर रहे हैं। वृंदावन में मिथिलाकुंज आश्रम से संत महामंडलेश्वर स्वामी किशोरीशरण जी महाराज ने पूरे विश्व में रह रहे मैथिलियों का आह्वान किया कि वे काउंसिल के इस पुनीत कार्य से जुड़ें। अयोध्या में मिथिला आश्रम से स्वामी जयराम दास जी महाराज ने कहा कि उनके लिए हर्ष का विषय है कि वे अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला मंदिर के बाद अब मां जानकी जी के लिए सीतामढ़ी में अपना श्रम देने जा रहे हैं।
कार्यक्रम में श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या में मंदिर-निर्माण के आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा भी मौजूद रहे। श्रीसोमपुरा ने अयोध्या की तरह सीतामढ़ी में भव्य मंदिर की रूपरेखा के विषय में बताया।
सीतामढ़ी के सांसद देवेशचंद्र ठाकुर ने कहा कि उनके लिए गौरव का विषय है कि उनके सांसद बनने के बाद बिहार सरकार और केंद्र सरकार मां सीताजी के प्राकट्य-स्थल पर भव्य मंदिर-निर्माण के लिए प्रयत्न कर रही हैं, तो वहीं रामायण रिसर्च काउंसिल जैसी संस्था सीतामढ़ी को तीर्थ क्षेत्र बनाने के लिए प्रयासरत है।
काउंसिल के महासचिव कुमार सुशांत ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि मां सीताजी का संबंध भूमि से है, इसलिए काउंसिल के अंतर्गत जल्द ही सीतामढ़ी में भूमि आरती की शुरूआत होगी और यह शुरू होने के बाद प्रतिदिन होगी। उन्होंने कहा कि काउंसिल का शुरू से संकल्प था कि हम 51 शक्तिपीठों से मिट्टी एवं ज्योत लाकर मां सीताजी को श्रीभगवती के रूप में स्थापित करेंगे जिसे पूरा करने का अब समय आ गया है।
इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. इन्द्रेश कुमार, भारत सरकार में पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे के अलावा काउंसिल के सदस्य निरंजनी अखाड़े से साध्वी अपराजिता गिरि, संजीव सिंह, डॉ. वीरेंद्र कुमार, कनाडा में रह रहे एनआरआई आदित्य झा (सीतामढ़ी के ही मूलवासी), आईएएस देव दत्त शर्मा, देव रत्न शर्मा, काउंसिल के सचिव पिताम्बर मिश्र, रौशन सिंह, आनंद मोहन, राजीव सिंह, शिवम सिंह समेत कई लोग मौजूद रहे।